अमेरिका में नौकरी छोड़ बिहार की सेवा में लगे हैं मनीष सिन्हा

वर्तमान में जो दौर चल रहा है, इस दौर में ऐसे बहुत ही कम शख्सियत मिलेंगे ।जो बड़े रैंक का सरकारी नौकरी छोड़ अपने मातृभूमि की सेवा में समय देते हैं। जी हां हम जिस की बात कर रहे हैं

,वह देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद के परिवार से आने वाले पेशे से आईटी इंजीनियर मनीष सिन्हा के बारे में है। जो सरकारी नौकरी छोड़ अमेरिका चले जाते हैं, तथा 10 वर्ष अमेरिका में नौकरी करने के बाद , अपनी मिट्टी के प्रति प्रेम वापस उनको अपने गांव की ओर खींच कर लाती है।

मनीष सिंहा का शुरुआती पढ़ाई पटना के सेंट माइकल स्कूल से होती है।तथा इंटर पटना के साइंस कॉलेज से पढ़ाई में अव्वल दर्जे होने के कारण पहली बार में ही वह राज्य स्तरीय इंजीनियरिंग परीक्षा पास कर वारंगल में एडमिशन लेते हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई समाप्त होने के बाद वह भारत पेट्रोलियम में नौकरी के लिए चले जाते हैं। तथा चेन्नई और मुंबई में 10 साल तक नौकरी करते हैं। इसी दौरान उनकी शादी हो जाती है और एक बेटी भी ।

लेकिन वो यही नहीं रुकते हैं कुछ और करने की चाह, में नौकरी छोड़ वह अमेरिका चले जाते हैं। और वहां से मास्टर डिग्री की पढ़ाई पूरी करने के बाद वहीं पर नौकरी शुरू कर देते हैं ।कंपनियों में काम करने के दौरान विभिन्न देशों की यात्राएं करते हैं । तथा विभिन्न देशों के रहन-सहन, और वहां की संस्कृतियों के बारे में भली-भांति परिचित होते हैं । लेकिन मातृभूमि के प्रति अमिट प्रेम के कारण कहीं ना कहीं ,उन्हें अब भी लगता है, कि कुछ अधूरा सा है। और वह फिर से बिहार की तरफ रुख करते हैं। यहां आने के बाद एक आईटी कंपनी का निर्माण करते हैं। जिसके की क्लाइंट आज देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं। आज भी अपने गृह जिले के लोगों के लिए सामाजिक कार्य ,जैसे लोगों के आंखों के ऑपरेशन ,प्रतिवर्ष स्वास्थ्य शिविर लगाना ,और ऑपरेशन के लिए जो खर्च आता है ।उसका वह खुद वहन करते हैं । और युवाओं के लिए हर साल क्रिकेट टूर्नामेंट तथा और खेलों का आयोजन करते हैं।

वही हर साल 3 दिसंबर यानी कि देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद के जन्म दिवस के मौके, पर पटना दिल्ली तथा देश के तमाम हिस्सों में उनके याद में कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं ।जिसमें देश की तमाम छोटी-बड़ी हस्तियां भाग लेती हैं।
वही मनीष सिन्हा कहते हैं, कि हमारे बिहार का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है और वह चाहते हैं कि बिहार फिर से एक बार अपने गौरवशाली इतिहास के लिए जाना जाए।

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