बिहार चुनाव 2020 : इन पांच वजहों से जनता का भरोसा एनडीए पर बना रहा

बिहार चुनाव 2020 कई कारणों की वजह से बेहद अलग रहा , चुनाव प्रचार के दौरान और एवं मतगणना के बाद बिहार की जनता को मूर्ख बनाने की और ठगने की कोशिश बहुत जोर शोर से चली ।

एक राजनीतिक दल अपने पुराने इतिहास से भागकर खुद को मसीहा साबित करने में लग गया और जानबूझकर एक पूरा प्रोपगंडा चला जो पिछले डेढ़ दशक के एनडीए द्वारा किए गए विकास कार्य एवं सामाजिक बदलावों को दरकिनार करने की साज़िश की गई . परन्तु बिहार की जनता बेहद शांत रही , सारे झूठ के प्रपंच नहीं चले , भेड़ की खाल में भेड़िए को पहचान लिया , अपनी सुख – शांति और समृद्धि से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया.

भाजपा एवं संयुक्त रूप से एनडीए के जीत के अपने कई कारण है , परन्तु इस लेख में मैं पांच प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालना चाहता हूं

  1. विकास विकास विकास

90 के पूर्व या 90 के बाद 2005 तक बिहार की राजनीति की धूरी हमेशा जाती रही , परन्तु सन 2005 के बाद भाजपा और जदयू ने मिलकर इसे संयुक्त रूप से विकास पर ला खड़ा किया , जनता जो नरसंहारों से जूझ रही थी , जो रोजाना अपराधियों के तांडव से परेशान थी , जो सड़क , बिजली के लिए हलकान थी वो आज बिहारी लोगों के लिए समस्या ही नहीं रही , सभी मोहल्लों , टोलों में भरपूर विकास हुआ है .

जनता बिजली , पानी , सड़क से आगे निकल आई है , अब अपराधियों का भय नहीं है, व्यवसाई निर्भीक है.

  1. महिलाओं को सम्मान

भाजपा एक पार्टी के स्तर पर हमेशा महिलाओं को सम्मान करना जानती है , पार्टी के भीतर भी और जनता के रूप में भी . सामाजिक न्याय वाले दलों कि सरकार में सबसे ज़्यादा शोषण महिलाओं का किया है , महिलाओं के खिलाफ अपराध , घरेलू अपराध , राजनीतिक हिस्सेदारी से दूर रखने की षड्यंत्रकारी कोशिशें हुई.

एनडीए के सरकार में छात्राओं के शिक्षा में भरपूर ध्यान दिया गया , जिन जिन समस्याओं के कारण लड़कियां स्कूल नहीं जाती थी या छोड़ देती थी उसका हल किया गया . साइकिल , पोशाक , सैनिटरी नैपकिन , स्कूलों में शौचालय , प्रोत्साहन राशि , मनचलों पर रोक इत्यादि . इसका सीधा फायदा देखने मिला आज बिहार में 66 प्रतिशत से ज़्यादा लड़कियां मैट्रिक से आगे तक पढ़ाई करती है , एनडीए के सरकार के पूर्व ये आंकड़ा 30 के करीब था .

शराब बंदी भी महिलाओं से किया वायदा था , जिसे लागू किया गया . आज इस वजह से महिलाएं निर्भीक होकर शाम में बाज़ार जा पाती है , आज किसी औरत के खिलाफ कोई पति या पारिवारिक सदस्य शराब पीकर हिंसा नहीं कर पाता , और गर करता है तो तुरंत कारवाई होती है.

  1. डीबीटी – डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर

राज्य में एनडीए सरकार , और केंद्र में भाजपा ने शुरआती स्तर से समझा कि जनता का पैसा सरकार से चलता तो है परन्तु बिचौलिए खा जाते है इसको लेकर सबसे पहले केंद्र ने नीति के तहत जनधन खातों की शुरुआत की , और बाद में सारे योजनाओं का धन उनके खातों में देना शुरू किया.

अप्रैल माह में तीस हज़ार करोड़ रुपया महिलाओं के जनधन खातों में गया , जिससे उन्हें कोरोना काल में परिवार चलाने की मदद मिली .

5000 करोड़ एलपीजी के लिंक हुए खातों में भेजा गया

इसके अलावा लगातार तीन महीनों तक 500 रुपए अलग से महिलाओं के खातों में पहुंचाए गए .

मनरेगा की धनराशि में इजाफा , 13 करोड़ से ज़्यादा वृद्ध , विकलांगो , विधवाओं के देश भर के खातों में 1000 रुपए दिए गए , जिनसे 13 करोड़ से ज़्यादा लोगों को मदद मिली.

देश भर के 8 करोड़ 75 लाख किसानों के खातों में 2000 रुपए सीधे डाले गए .

बिहार की एनडीए सरकार ने भी सीधे तौर पर महिला हेल्थ वर्कर्स का 50 लाख का बीमा करवाया.

6 लाख 75 हज़ार प्रवासी मजदूरों के खातों में 1000-1000 रुपए पहुंचाए गए.

राज्य सरकार ने राशन कार्ड धारकों के खातों में भी 1000 – 1000 रुपयों की मदद पहुंचाई.

4. अनाज

” गरीब कल्याण स्कीम ” के तहत बिहार के 8 करोड़ 70 लाख लोगों को मुफ्त में 5 किलो अनाज एवं साथ में 1 किलो दाल की शुरुआत हुई , केंद्र सरकार ने 90 हज़ार करोड़ का बजट इस लिए बनाया ताकि कोई भी गरीब भूखा ना सोए और इसका सबसे ज़्यादा फायदा बिहार के शहरी और ग्रामीण गरीब लोगों को हुआ.

5. गरीब ,महिलाओं और युवाओं को रोजगार

प्रधानमंत्री जी ने सभी मदद के साथ इस विषम वर्ष में भोजन , खर्च का ध्यान तो रखा लेकिन साथ में मजदूरों के रोजगार का भी ख्याल किया , देश के मजदूर वर्ग के लिए प्रधानमंत्री गरीब रोजगार योजना की शुरुआत की , जिससे पिछड़े जिलों में मजदूरों को साल के 125 दिन काम की गारंटी रहे .

एनडीए की राज्य सरकार ने युवाओं के लिए पिछले डेढ़ दशक में काफी काम किए , 6 लाख से ज़्यादा सरकारी नौकरी , जीविका मिशन की वजह से लाखों महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बने .

2007 से चल रहे जीविका योजना के कारण 70 लाख से ज़्यादा बिहारी ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव और चेहरे में मुस्कान आया है .

युवाओं के नौकरियों के साथ साथ खुद का रोजगार करने के लिए 10 लाख रुपयों तक बिना ब्याज का लोन जैसी मदद ने जनता के दिलों में एनडीए के लिए विशेष जगह बनाई है.

और सबसे बड़ी बात भाजपा का गठबंधन पर भरोसा , भाजपा अपने सभी गठबंधन में अपने साथियों का महत्व जानती है और सम्मान देना आता है . बिहार चुनाव में सभी विधानसभा सीट पर एनडीए गठबंधन एक होकर लड़ा , कई भ्रम , दूरियां बनाने की कोशिश की गई जिसे भाजपा के कुशल नेतृत्व श्री संजय जायसवाल जी , श्री भूपेंद्र यादव जी , श्री सुशील मोदी जी और कई बड़े नामों ने हमेशा जनता के सामने आकर गठबंधन की एकता पर बात किया.

किसी भी राजनीतिक दल , विचारधारा के लिए डेढ़ दशक तक एक साथ कार्य करना बेहद ही लंबा कार्यकाल है , परन्तु बिहार सन 2005 के पूर्व जिस विषम परिस्थितियों में था , जिस प्रकार राज्य की दुर्गति हो रखी थी वहां से भाजपा गठबंधन बहुत आगे लेकर आ गया है , अभी आगे की यात्रा भी काफी लंबी है, नए समस्याएं है , नई मांगे और जन की जरूरतें है जिसे अब फिर से एनडीए की सरकार को पूरा करना है , और एनडीए में इतनी काबिलियत और इरादे वाले जन नेता है जो इसे बखूबी पूरा करना जानते है.

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